हल्द्वानी के दमुवाढूंगा के कृष्णा विहार, देवकी विहार और गायत्री कॉलोनी में आपदा के जख्म 48 घंटे बाद भी हरे हैं। कॉलोनियों की कुछ गलियों को छोड़ दें तो मौके पर पत्थर और मलबा बिखरा हुआ है। आपदा प्रभावित परिवार अपने आशियाने को बचाने के लिए उपाय खोज रहे हैं। मंगलवार की काली रात ने लोगों के मन में ऐसा खौफ पैदा कर दिया है कि कई परिवारों की नींद उड़ी हुई है।
कृष्णा कॉलोनी में नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज कांडपाल नगर निगम की पांच टीमों के साथ मलबा साफ करवाते नजर आए। गायत्री नगर में टीम गलियों की धुलाई करती दिखी। स्थानीय निवासी भगवती नेगी प्रशासन की सक्रियता से नाखुश दिखीं। बोलीं, आपदा में घर की चहारदीवारी टूटने के साथ बरामदे तक मलबा भर गया था। हजारों का नुकसान हुआ है लेकिन पांच हजार का चेक थमा दिया गया। वर्षों से नाले की समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पाया है।रेखा बोरा का कहना था कि हर साल नाले का पानी आबादी की ओर पहुंचकर तबाही मचाता है लेकिन प्रशासन नुकसान के बाद निरीक्षण कर जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेता है। आपदा प्रभावितों की सुनवाई नहीं होने से नंदन सिंह सिस्टम से खिन्न नजर आए। गोविंद मिश्रा का कहना था कि मुआवजा राशि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। लोगों ने कहा कि अब तक सुरक्षा के नाम पर नाले से पत्थर उठाकर किनारे पर ढेर लगाए गए हैं। टीम ने देखा कि बचाव कार्यों को देखते हुए क्षेत्र में जनजीवन पटरी पर आने में समय लग सकता है।
कृष्णा विहार, देवकी विहार और गायत्री कॉलोनी के लोग पेयजल संकट से परेशान हैं। लोगों का कहना है कि उनके नलों में आधे घंटे से भी कम पानी आ रहा है। 30 मिनट मिल रहा पानी भी मटमैला है। उन्होंने जल संस्थान से पेयजल संकट से निजात दिलाने की मांग की है। लोगों का कहना है कि क्षेत्र में बिजली और संचार की भी दिक्कत हो रही है। प्रभावितों ने जिला प्रशासन से व्यवस्थाओं में सुधार की मांग उठाई।
हल्द्वानी नगर निगम के 120 कर्मी तीन कॉलोनियों का मलबा साफ करने में जुटे हैं। सफाई के कार्य में पोकलेन और जेसीबी की मदद ली जा रही है। संकरी गलियों में मलबा निकालने में कर्मियों को ज्यादा मशक्कत करनी पड़ रही रही है।