देहरादून:- छावनी परिषद में सभासद बनने की उम्मीद संजोए जनप्रतिनिधियों को बड़ा झटका लगा है। रक्षा मंत्रालय ने छावनी परिषद के चुनाव स्थगित कर दिए हैं। इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। इससे पूर्व छावनी परिषदों में चुनाव के लिए फरवरी में अधिसूचना जारी की गई थी। नए आदेश के बाद प्रदेश के नौ छावनी परिषदों में चुनाव प्रक्रिया रुक गई है।
दरअसल, पिछले एक माह से कैंट चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा था। मतदाता सूची को भी लगभग तैयार कर लिया गया था। इसी बीच रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में संयुक्त सचिव राकेश मित्तल ने चुनाव रद्द करने का आदेश जारी किया है। छावनी परिषद गढ़ी कैंट के सीईओ अभिनव सिंह ने चुनाव स्थगित होने की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि मतदाता सूची को लेकर आ रही आपत्तियों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। पहले यह आदेश आया था कि सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और अपनी जमीन पर बिना नक्शा पास कराए निर्माण करने वालों को छावनी चुनाव में वोटर नहीं बनाया जा सकता, इसका विरोध हो रहा था। उधर, मतदाता सूची में धांधली की शिकायतें भी आ रही थीं। पिछले दो दिनों से अचानक चुनाव टलने की चर्चा चल रही थी। इसे लेकर दावेदारों की चिंता बढ़ी हुई थी। कैंट बोर्ड के अधिकारी पहले ही अनाधिकृत रूप से इसकी पुष्टि कर रहे थे। कैंट बोर्ड के चुनाव वर्ष 2020 में होने थे लेकिन कैंट बोर्ड एक्ट में संशोधन के चलते रक्षा मंत्रालय ने कार्यकाल बढ़ा दिया था।
दो साल से कैंट बोर्ड के चुनाव नहीं हो पाए थे। इस बीच फरवरी में रक्षा मंत्रालय ने देशभर के सभी कैंट बोर्ड के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी। 30 अप्रैल चुनाव की तिथि घोषित होते ही उत्तराखंड के नौ कैंट बोर्डों ने भी तैयारी शुरू कर दी। सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय कैंट बोर्ड के चुनाव को एक-दो साल के लिए टाल सकता है। दरअसल, कैंट बोर्डों का कार्यकाल पांच साल का होता है। यह कार्यकाल फरवरी 2020 में पूरा हो गया था, लेकिन चुनाव न होने के कारण निर्वाचित बोर्ड का कार्यकाल दो बार, छह-छह माह के लिए बढ़ाया गया। वहीं, बीते साल फरवरी में वैरी बोर्ड अस्तित्व में आ गया। बीती दस फरवरी को वैरी बोर्ड को एक साल पूरा हो चुका है।