प्रदेश सरकार ने खेल और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए खेल नीति बनाई है। इसके तहत सरकार ने बॉक्सिंग और एथलेटिक्स सहित 32 खेलों में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने वाले खिलाड़ियों के लिए सीधे नौकरी की व्यवस्था की है।खेल नियमावली में कुछ अन्य खेलों को शामिल करने की तैयारी है, इसके लिए नियमावली में बदलाव होगा।
इससे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में अन्य खेलों में पदक लाने वाले खिलाड़ियों का भी सीधे नौकरी का रास्ता साफ हो सकेगा।खेल निदेशक एवं अपर सचिव जितेंद्र सोनकर के मुताबिक खिलाड़ियों के हित में यह कदम उठाया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने खेल और खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए खेल नीति बनाई है। इसके तहत सरकार ने बॉक्सिंग और एथलेटिक्स सहित 32 खेलों में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने वाले खिलाड़ियों के लिए सीधे नौकरी की व्यवस्था की है।
नीति के तहत विभिन्न छह विभागों में 2000 से लेकर 5400 ग्रेड वेतनमान तक की नौकरी की दी जाएगी, लेकिन हाल ही में गोवा में हुए 37वें राष्ट्रीय खेलों में कुछ ऐसे खेलों में भी राज्य के खिलाड़ी पदक लेकर आए हैं। जो खेल नीति के तहत 32 खेलों की इस सूची में शामिल नहीं हैं।
खेलों की इस सूची में यदि कुछ अन्य खेल शामिल न किए गए तो इन खिलाड़ियों को पुरस्कार और नौकरी से वंचित रहना पड़ सकता है। हालांकि खेल नीति में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इन 32 खेलों में समय-समय पर राज्य सरकार अन्य खेलों को जोड़ने पर विचार कर सकती है।
नौकरी के लिए यह खेल नहीं है खेल नीति में शामिल
पारंपरिक चीनी मार्शल आर्ट वुशु में उत्तराखंड ने हाल ही में गोवा में हुए राष्ट्रीय खेलों में कांस्य, जिमनास्ट में कांस्य, योगा में रजत, सेपक टकराव में कांस्य, पेचक सिलाट में एक स्वर्ण तीन कांस्य पदक जीते हैं, लेकिन यह खेल 32 खेलों की सूची में शामिल नहीं हैं।
सीधे नौकरी के लिए वर्तमान में यह खेल हैं शामिल
पदक लाने वाले खिलाड़ियों को सीधे नौकरी के लिए वर्तमान में 32 खेलों में एथलेटिक्स, तीरंदाजी, बैडमिंटन, बास्केटबॉल, बॉक्सिंग, केनौइंग एवं क्याकिंग, साइकिलिंग, घुड़सवारी, तलवारबाजी, फुटबॉल, गोल्फ, हैंडबॉल, हॉकी, जूडो, लॉन टेनिस, शूटिंग, रोइंग, सेलिंग, तैराकी, टेबल टेनिस, ताइक्वांडो, वालीबॉल, वेटलिफ्टिंग, कुश्ती, बेसबॉल, शतरंज, क्रिकेट, कबड्डी, कराटे, खो-खो और मलखंभ शामिल है।
खिलाड़ियों के हित में खेल नियमावली में संशोधन किया जाएगा। कोई भी वास्तविक खेल और खिलाड़ी सुविधा से वंचित नहीं रहेगा। -जितेंद्र सोनकर, खेल निदेशकजिन खेलों को खेल नीति में शामिल किया गया है पहले उन खिलाड़ियों को देय सुविधा का लाभ दिया जाएगा। इसके बाद यह देखा जाएगा कि पद खाली हैं तो अन्य को भी इसके लिए अवसर मिलेगा। -रेखा आर्य, खेल मंत्री