उत्तराखंड बोर्ड के नतीजे: पहाड़ और मैदानी क्षेत्रों के बीच शिक्षा का अंतर, बदल रहा शिक्षा का मंच

प्रदेश में मंगलवार को उत्तराखंड बोर्ड के 10वीं और 12वीं के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। जिसमें पहाड़ के मुकाबले मैदानी जिलों का प्रदर्शन खराब रहा है। यह हाल तब है, जबकि मैदानी जिलों में पहाड़ की तुलना में शिक्षकों की संख्या और सुविधाएं ज्यादा है।

10वीं और 12वीं में उत्तीर्ण प्रतिशत में बागेश्वर जिला पहले नंबर पर है। वहीं, खराब परीक्षाफल वाले जिलों में देहरादून और हरिद्वार जिले शामिल हैं। प्रदेश के देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिलों में तैनाती के लिए शिक्षक पूरे साल एड़ी चोटी का जोर लगाए रहते हैं। इसके लिए विधायक, मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की सिफारिश लगवाते हैं।

इसकी एक बड़ी वजह यह है कि इन जिलों में अधिकतर विद्यालय सुगम क्षेत्र में हैं। पहाड़ की तुलना में यहां ज्यादा शिक्षक और सुविधाएं हैं, लेकिन उत्तराखंड बोर्ड के नतीजों की बात करें तो उत्तीर्ण प्रतिशत और मेरिट में पहाड़ के जिले छाए हुए हैं। 10वीं में बागेश्वर जिला 95.42 उत्तीर्ण प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है। चंपावत 93.28 प्रतिशत के साथ दूसरे एवं अल्मोड़ा 93.16 प्रतिशत के साथ तीसरे नंबर पर है।

परीक्षाफल में फिसड्डी रहे जिलों की बात करें तो हरिद्वार जिला नंबर एक पर और देहरादून दूसरे नंबर पर है। हरिद्वार जिले का पास प्रतिशत सबसे कम 87.71 प्रतिशत, देहरादून का 85.76 प्रतिशत, नैनीताल जिले का 86.61 प्रतिशत और ऊधमसिंह नगर जिले का उत्तीर्ण प्रतिशत 91.41 प्रतिशत रहा है। कुछ यही स्थिति 12वीं के नतीजों की है। प्रदेश में हरिद्वार जिले का परीक्षाफल सबसे खराब 76.13 प्रतिशत रहा है। उत्तरकाशी 79.02 प्रतिशत के साथ दूसरे और देहरादून 79.96 प्रतिशत के साथ खराब नतीजे वाले जिलों में तीसरे स्थान पर है।

उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में मैदानी जिलों का परीक्षाफल खराब रहने की वजह का पता लगाया जाएगा। विद्या समीक्षा केंद्र के माध्यम से एक-एक विद्यालय की स्थिति की जानकारी ली जा रही है। -बंशीधर तिवारी, शिक्षा महानिदेशक

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