देहरादून-कर्णप्रयाग मार्ग की गति सीमा निर्धारण के लिए आईआरटीई फरीदाबाद द्वारा सर्वेक्षण, सड़क की स्थिति पर आधारित रिपोर्ट तैयार की जाएगी

सोमवार को परिवहन पुलिस व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह जानकारी दी गई। वाहनों की गति सीमा को तर्कसंगत बनाने और इसमें विशेषज्ञ संस्था का सहयोग लेने के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में परिवहन विभाग ने देहरादून-कर्णप्रयाग मार्ग के सर्वेक्षण का जिम्मा आइआरटीई फरीदाबाद को सौंपा है। अगर सड़क ठीक होगी तभी गति सीमा निर्धारण का वास्तविक लाभ मिल पाएगा। आइआरटीई (इंस्टीट्यूट आफ रोड ट्रेफिक एजुकेशन) फरीदाबाद की रिपोर्ट के आधार पर निकट भविष्य में राज्य के जिलों में विभिन्न मार्गों पर वाहनों की अधिकतम गति सीमा का निर्धारण किया जाएगा।

वाहनों की गति सीमा को तर्कसंगत बनाने और इसमें विशेषज्ञ संस्था का सहयोग लेने के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के क्रम में परिवहन विभाग ने देहरादून-कर्णप्रयाग मार्ग के सर्वेक्षण का जिम्मा आइआरटीई फरीदाबाद को सौंपा है।गति सीमा के निर्धारण के वैज्ञानिक व प्रचलित पद्धति की जानकारी दी। सोमवार को परिवहन, पुलिस व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह जानकारी दी गई। इस अवसर पर आइआरटीई के निदेशक डॉ. रोहित बलूजा ने वाहनों की गति सीमा के निर्धारण के दृष्टिगत वैज्ञानिक व प्रचलित पद्धति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। निदेशक ने कहा कि वाहनों की गति सीमा निर्धारण करना ही पर्याप्त नहीं है, इससे पहले सड़कों की दशा में भी सुधार आवश्यक है। अगर सड़क ठीक होगी, तभी गति सीमा निर्धारण का वास्तविक लाभ मिल पाएगा। इसके लिए लोनिवि को पहल करनी होगी

अपनी रिपोर्ट परिवहन विभाग को उपलब्ध कराएगा आइआरटीई

निदेशक बलूजा ने गति सीमा निर्धारण के लिए उसे अधिसूचित करने व समुचित साइन बोर्ड लगाए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आइआरटीई शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट परिवहन विभाग को उपलब्ध कराएगा। इसके आधार पर निकट भविष्य में विभिन्न जिलों के मार्गों पर गति सीमा का निर्धारण किया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान जानकारी दी गई कि आइआरटीई ने 212 किलोमीटर लंबे देहरादून-कर्णप्रयाग मार्ग पर 102 जगह सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया है। पूरे मार्ग को चार भागों में विभक्त करते हुए सुझाव दिए गए हैं।

कहा गया कि वाहनों की गति सीमा निर्धारण किसी एक फैक्टर पर कार्य न करके कई फैक्टर का सम्मिलित परिणाम होता है। इसमें वैज्ञानिक आधार के साथ ही मानवीय दृष्टिकोण, सड़क की दशा, स्थानीय निवासियों द्वारा स्वीकार्यता व मनोविज्ञान का भी योगदान होता है।

वाहनों की गति सीमा 25 किमी निर्धारित

इस अवसर पर कहा गया कि कुछ स्थान ऐसे भी हैं, जहां मार्ग की दशा कुछ भी हो, लेकिन केंद्र सरकार ने वाहनों की गति सीमा 25 किमी निर्धारित की है। पर्वतीय क्षेत्र में प्रत्येक मोड़ के लिए अनिवार्य गति सीमा निर्धारण के स्थान पर एडवाइजरी गति सीमा निर्धारित करने का भी सुझाव दिया गया।

संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने आशा व्यक्त की कि यह कार्यक्रम अधिकारियों के प्रश्नों व उनकी जिज्ञासा का उत्तर देने में सहायक होगी।

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