मौसम विज्ञान केंद्र का अलर्ट: देहरादून, चमोली, नैनीताल, पिथौरागढ़ में भारी बारिश की संभावना

प्रदेश के पर्वतीय जिलों में आज भारी बारिश होने की संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से देहरादून समेत चमोली, नैनीताल और पिथौरागढ़ जिले के कुछ इलाकों में भारी बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है। बागेश्वर जिले में भारी से भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। अन्य जिलों में भी कई दौर की तेज बारिश होने के आसार हैं।

देवप्रयाग में गंगा खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर बह रही है। सुबह से अलकनंदा नदी के जलस्तर में पांच मीटर की बढ़ोतरी हुई है। देवप्रयाग स्थित श्राद्ध भवन, फुलाड़ी घाट और नमामि गंगे के द्वारा बनाया गया टोडेश्वर घाट नदी में डूब गए हैं। श्रीनगर में भी अलकनंदा का जल स्तर चेतावनी स्तर से ऊपर है। यहां भी घाट डूब चुके हैं।

टिहरी के गेंवाली गांव में अतिवृष्टि का कहर

टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक क्षेत्र में देर रात से हो रही बारिश से तबाही मची है। बीती रात को बूढ़ाकेदार क्षेत्र के गेंवाली गांव में अतिवृष्टि से काफी नुकसान हुआ है।

चमोली के थराली और पगनों में तबाही

चमोली जिले के थराली और पगनो में तबाही मची है। थराली में बारिश आफत बनकर बरसी। प्राणमति नदी द्वारा बन रही झील को तोड़ दिया, फिर इन घरों से पानी घुस गया। भारी बारिश के चलते पगनो गांव में भी भारी नुकसान हुआ है। बारिश के भय से ग्रामीण देर रात अपनी जान बचाकर भागे। लोगों के घरों में मलबा घुस गया है।

बागेश्वर और चमोली में प्रदेश में सबसे अधिक बारिश

अगस्त के शुरुआत से ही प्रदेश के कुछ जिलों में हो रही मूसलाधार बारिश लोगों की परेशानी बढ़ाए हुए है। आलम यह है कि गढ़वाल मंडल में तो चमोली और देहरादून जिले में अभी तक सबसे ज्यादा बारिश हो चुकी है। जबकि कुमाऊं मंडल के बागेश्वर में सामान्य से अधिक बारिश होने के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

आंकड़ों पर नजर डालें तो चमोली जिले में 360.1 एमएम बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से बारिश से 83 फीसदी है। जबकि दूसरे नंबर पर देहरादून जिला है, यहां अगस्त के 22 दिनों में कुल 483 एमएम बारिश हो चुकी है, जो सामान्य वर्षा से 25 फीसदी अधिक है।

गढ़वाल के बाकी जिलों में सामान्य बारिश हुई है। पूरे प्रदेश भर की बात करें तो सबसे ज्यादा बारिश कुमाऊं के बागेश्वर जिले में हुई है, यहां 721.8 एमएम बारिश हो चुकी है, जो सामान्य बारिश के आंकड़े से 279 फीसदी अधिक है। सबसे कम बारिश की बात करें तो पौड़ी जिले में सबसे कम 189.6 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई, जो सामान्य बारिश से 47 फीसदी कम है। कम बारिश के मामले में दूसरे नंबर पर कुमाऊं का चंपावत जिला है, यहां बृहस्पतिवार तक सिर्फ 184.8 एमएम बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य वर्षा से 38 फीसदी कम है। वहीं, पूरे प्रदेश भर में 22 अगस्त तक 325 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो सामान्य बारिश से सिर्फ नौ फीसदी अधिक है।

मौसम वैज्ञानिकों ने आने वाले दिनों में कुछ पर्वतीय जिलों में मूसलाधार बारिश होने की आशंका जताई है। जिसके चलते संवेदनशील इलाकों में भूस्खलन होने के साथ नदियों का जलस्तर बढ़ सकता है। हिदायत देते हुए कहा, संवदेनशील इलाकों में बारिश के दौरान दिन के साथ रात के समय में भी सतर्कता से रहें। खासकर चारधाम यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को यात्रा के दौरान सावधानी से चलने को कहा गया है। इसके लिए मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से सलाह दिए गए हैं।

 

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