उत्तर प्रदेश के आगरा में गर्भवती महिलाओं व कुपोषित बच्चों को मुफ्त में बंटने वाले पुष्टाहार की कालाबाजारी के मामले में मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती के बाद पुलिस हरकत में आ गई। बुधवार को फरार गोदाम मालिक प्रवीन अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया।
उससे पूछताछ में पता चला कि आंगनबाड़ी के लाभार्थियों को मिलने वाला खाद्यान्न खुले बाजार में बेचा जाता है। बिजलीघर से खाद्यान्न को बोली लग लगाकर खरीद होती है। जानकारी मिली है कि 30 प्रतिशत ही लाभार्थियों को पुष्टाहार पहुंच पा रहा है। दोगुने से ज्यादा के मुनाफे के लिए में खाद्यान्न कालाबाजारी हो रही है।
नाई की मंडी स्थित कटरा हाथीशाह, डेरा सरस के रहने वाले प्रवीण अग्रवाल के घर पर 27 सितंबर को छापेमारी की गई थी। आरोपी के घर में अवैध गोदाम पकड़ा गया था। जहां आंगनबाड़ी केंद्रों पर बंटने वाला खाद्यान्न को रखा गया था। गोदाम से ही खाद्यान्न की बिक्री की जाती थी। 700 किलोग्राम चना दाल की बोरियां, 327 लीटर रिफाइंड ऑयल मिला था। मामले में बाल विकास परियोजना अधिकारी ने मुकदमा दर्ज कराया था।
डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम का गठन किया था। टीम ने नाई की मंडी के अलावा आरोपी के कई ठिकानों पर दबिश दी। रिश्तेदार और परिचितों से जानकारी जुटाई। बुधवार शाम को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। उसने पूछताछ में बताया कि उसकी आटा चक्की है। वह आंगनबाड़ी के लाभार्थियों को मिलने वाले खाद्यान्न की कालाबाजारी में शामिल है।
पुलिस ने बताया कि आरोपी से पूछताछ में पता चला कि नैफेड की ओर से पुष्टाहार का वितरण किया जाता है। तीन महीने में खाद्यान्न एक बार आता है। इसके लिए आंगनबाड़ी संचालिका खाद्यान्न लेने बिजलीघर पर आती हैं। इसी दिन खरीदार भी पहुंच जाते हैं। बोली लगाई जाती है।
बाजार से कम कीमत पर खाद्यान्न मिल जाता है। प्रवीन भी पहुंच जाता था। वह बड़ी मात्रा में खाद्यान्न को खरीदता था। उन्हें बिक्री पर दोगुना से अधिक का मुनाफा होता है। प्रवीन अग्रवाल का कहना है कि वह कुछ लोगों के कहने पर दो बार से खाद्यान्न लेने गया था। सरकार खाद्यान्न में से 30 प्रतिशत ही लाभार्थियों को मिल पाता है।
रिफाइंड के कार्टन पर 700 रुपये की कमाई
खाद्यान्न की कालाबाजारी यूं ही नहीं की जा रही है। इसके पीछे पूरा खेल मुनाफे का है। व्यापारी कम दर में माल खरीदकर लाते हैं। इसके बाद उसे बाजार भाव पर बेच दिया जाता है। बाजार में भी माल खपाने के लिए अलग से लोग लगे हुए हैं।
प्रवीन अग्रवाल ने भी पुलिस को कई महत्वपूर्ण जानकारी दी हैं। यह भी बताया कि रिफाइंड के एक कार्टन पर 500 से 700 रुपये तक बच जाते हैं। इस लालच में ही वो आराम से माल खरीद रहा था। इसके अलावा चने की दाल पर अच्छा फायदा होता है।
पुलिस ने नाई की मंडी इलाके की कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बुधवार को पूछताछ की। उनसे खाद्यान्न के वितरण के बारे में जानकारी ली गई। उनसे पता किया जा रहा है कि खाद्यान्न कैसे और कहां से लेकर आते हैं। इसके बाद कहां रखा जाता है। खाद्यान्न की कालाबाजारी में और कितने लोग शामिल हैं। इस बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।