दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा बनाए गए ‘शीश महल’ में अवैध निर्माण और वित्तीय अनियमितताओं पर उनकी शिकायत को स्वीकार कर लिया है। सीवीसी ने इस शिकायत को आगे की जांच के लिए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को भेज दिया है, और यह आश्वासन दिया है कि तथ्यात्मक रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
प्रदेश भाजपा ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री आवास के सौंदर्यीकरण पर करीब 45 करोड़ रुपये खर्च किए गए। भाजपा ने तत्कालीन सीएम को आड़े हाथों लेते हुए नैतिकता के आधार पर इस्तीफे की मांग की थी। इस पर पलटवार करते हुए आप ने भाजपा पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया था। साथ ही कहा था कि मुख्यमंत्री आवास किसी की निजी संपत्ति नहीं है।
भाजपा ने दावा किया था कि यह नवीकरण नहीं बल्कि पुराने की जगह नया ढांचा तैयार किया गया है। इसमें उनका कैंप कार्यालय भी है। इस मामले में सूत्रों का दावा है कि दस्तावेज से पता चलता है कि 43.70 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के बजाय सिविल लाइंस के 6, फ्लैट स्टाफ रोड स्थित सीएम के सरकारी आवास की शक्ल बदलने पर 44.78 करोड़ रुपये खर्च किए गए। सूत्रों का दावा था कि दस्तावेज में 9 सितंबर, 2020 से जून, 2022 के बीच 6 बार में राशि खर्च की गई।
दस्तावेज के मुताबिक किए गए कुल खर्च (रुपये में)
आंतरिक सजावट पर 11.30 करोड़
पत्थर और संगमरमर के फर्श पर 6.02 करोड़
आंतरिक परामर्श पर एक करोड़
विद्युत फिटिंग और उपकरणों पर 2.58 करोड़
अग्निशमन प्रणाली पर 2.85 करोड़
अलमारी पर 1.41 करोड़ रुपये
सामान फिटिंग, रसोई के उपकरणों पर 1.1 करोड़ रुपये
मुख्यमंत्री के सरकारी आवास स्थित कैंप कार्यालय के लिए स्वीकृत 9.99 करोड़ रुपये के अलावा 8.11 करोड़ रुपये किए गए खर्च