प्लास्टिक कचरा प्रबंधन में ऋषिकेश नगर निगम बना उदाहरण, ‘वेस्ट टू वंडर’ पार्क और प्लास्टिक बैंक से नई पहल

प्लास्टिक कूड़ा प्रबंधन हमारे शहरी जीवन के सामने एक चुनौती बनकर उभर रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर ऋषिकेश नगर निगम ने भी प्लास्टिक कूड़े का प्रबंधन कर नगर निकायों के सामने उदाहरण पेश किया है। नगर निगम प्लास्टिक कूड़े को न सिर्फ सफलतापूर्वक एकत्रित कर रहा है, बल्कि इसे री-साइकिल के जरिए फिर कई तरीकों से इस्तेमाल भी कर रहा है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सभी निकायों को प्लास्टिक कूड़ा निस्तारण की ठोस व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। इस दिशा में निकायों के स्तर पर कई नवीन प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ जगह क्यूआर कोड के जरिए भी प्लास्टिक की वापसी की जा रही है। सरकार इस दिशा में बेहतर काम करने वाले निकायों को पुरस्कृत भी कर रही है।

तीर्थनगरी ऋषिकेश की बात करें तो यह धार्मिक नगरी होने के साथ-साथ राफ्टिंग-कैम्पिंग का प्रमुख केंद्र भी है। जिसके कारण ऋषिकेश में वर्ष भर श्रद्धालुओं और पयर्टकों की भीड़ लगी रहती है। इस कारण यहां प्लास्टिक कूड़ा का प्रबंधन चुनौतीपूर्ण काम है। नगर आयुक्त श्री शैलेंद्र सिंह नेगी की पहल पर इसके लिए ऋषिकेश नगर निगम ने सबसे पहले आईएसबीटी, त्रिवेणी घाट और वीरभद्र में प्लास्टिक बैंक की स्थापना की। प्लास्टिक बैंक के बॉक्स बनाने के लिए पुरानी प्लास्टिक बोतलों को ही इस्तेमाल किया गया। जिसमें लोग खुद खाली बोतलें या अन्य प्लास्टिक कचरा डालते हैं। इन प्लास्टिक बैंक से अब तक करीब 400 किलो तक प्लास्टिक रीसाइकिल हो चुका है। इस प्रयोग की सफलता को देखते हुए नगर निगम अब नटराज, ट्रांजिट कैम्प, रेलवे स्टेशन में भी प्लास्टिक बैंक स्थापित करने जा रहा है।
ऋषिकेश नगर निगम ने परिसर में प्लास्टिक वेस्ट से ‘वेस्ट टू वंडर’ पार्क भी तैयार किया है। जिसमें पुराने टायर, खराब हो चुकी स्ट्रीट लाइट, साइकिल-स्कूटर जैसे सामान से बच्चों के झूले ओर सजावटी सामान तैयार किए गए हैं। साथ ही नगर निगम रीसाइकिल प्लास्टिक से बैंच, ट्री कार्ड, प्लास्टिक बैंक बॉक्स भी तैयार कर रहा है।
ऋषिकेश नगर निगम में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के बावजूद पहले यूजर चार्ज महज तीन लाख महीने तक ही जमा हो पाता था, लेकिन अब नगर निगम ने यूजर चार्ज वसूलने का काम महिला स्वयं सहायता समूहों (त्रिवेणी सेना) को दे दिया है। जिसके बाद नगर निगम का कलेक्शन 13 लाख रुपए के पार चला गया है। इसमें से नगर निगम महिला समूहों को 25 प्रतिशत लाभांश देता है। इस तरह करीब 250 महिलाओं को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला है।

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