मनसा देवी मंदिर तक रोपवे के लिए हॉस्पिटल चलाने वाली, पुल और हाईवे बनाने वाली कंपनियों तक को टेंडर की अनुमति देने पर हाईकोर्ट की फटकार के बाद टेंडर निरस्त कर दिया गया। हरिद्वार नगर निगम के अधिवक्ता ने मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान इसकी जानकारी दी। इस मामले में फैसला जल्द में आने की उम्मीद थी, उससे पहले ही नगर निगम ने टेंडर निरस्त करने का कदम उठा लिया।
यह विवाद अप्रैल माह में शुरू हुआ था। हरिद्वार नगर निगम ने टेंडर के लिए रोपवे के क्षेत्र में कोई अनुभव न रखने वाली सड़क और निर्माण कार्यों से जुड़ी फर्मों को भी बोली लगाने की अनुमति दे दी थी। इसमें राजमार्ग, पुल, सुरंग, दूरसंचार और यहां तक कि अस्पताल जैसे क्षेत्रों की फर्मों को भी शामिल कर लिया गया था।
इसके बाद रोपवे विशेषज्ञता वाली कंपनी उषा ब्रेको लिमिटेड ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले में यह बात भी सामने आई कि टेंडर की शर्तों में ये बदलाव नगर आयुक्त ने नगर निगम बोर्ड की मंजूरी के बिना ही कर दिए थे। इससे प्रक्रिया और पारदर्शिता पर भी सवाल उठे। पूर्व में सुनवाई में हाईकोर्ट ने भी इन तथ्यों पर आश्चर्य जताया था और टेंडर प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए निर्णय आने तक संबंधित फर्म की ओर से संचालन जारी रखने के निर्देश दिए थे। यात्रियों की सुरक्षा और निविदा की पारदर्शिता संबंधी चिंता जताते हुए हाईकोर्ट ने नगर निगम को काफी कुछ कहा था।