लंबित मांगों को लेकर हिमाचल में एंबुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर जाने की तैयारी में

हिमाचल प्रदेश में 108 और 102 एंबुलेंस सेवाएं कभी भी ठप हो सकती हैं। इन सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी लंबित मांगों को जल्द नहीं माना गया तो वे हड़ताल पर चले जाएंगे। यूनियन ने कहा है कि यदि एक सप्ताह के भीतर समाधान नहीं हुआ, तो प्रदेशभर में एंबुलेंस की सेवाएं बंद कर दी जाएंगी, जिसकी जिम्मेदारी सरकार, नेशनल हेल्थ मिशन शिमला और संचालन कर रही मेडशवान कंपनी की होगी। बिलासपुर यूनियन के प्रधान संजीव कुमार और उप प्रधान बीरी सिंह ने बताया कि 108 और 102 एंबुलेंस सेवाओं के कर्मचारी दिन-रात जनता की सेवा में जुटे हैं।

कोविड महामारी के दौरान भी इन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना पूरी निष्ठा से ड्यूटी निभाई, लेकिन इसके बावजूद सरकार और मैनेजमेंट कंपनियां उनकी लगातार अनदेखी कर रही हैं। पहले जीवीके कंपनी और अब मेडशवान कंपनी कर्मचारियों का शोषण कर रही है। यूनियन ने बताया कि कर्मचारियों से 12-12 घंटे की ड्यूटी ली जाती है, जबकि लेबर लॉ के अनुसार वेतन और सुविधाएं नहीं दी जातीं। उन्होंने कहा कि बीते 14 वर्षों से सेवा में लगे रहने के बावजूद उन्हें स्थायित्व नहीं मिला है। सरकार भी उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में ड्यूटी का समय आठ घंटे करना, बिना कारण किसी भी कर्मचारी को नौकरी से न निकाला जाना, बकाया एरियर का शीघ्र भुगतान, निकाले गए कर्मचारियों को दोबारा बहाल करना और सेवा शर्तों को मान्यता देना शामिल है।

यूनियन चेतावनी दी है कि अभी वे पेन डाउन स्ट्राइक पर हैं, लेकिन अगर मांगे नहीं मानी गईं तो वे पूरी तरह काम बंद कर देंगे। यूनियन ने प्रदेश की जनता से अपील की है कि यदि भविष्य में एंबुलेंस सेवाएं बाधित होती हैं तो वे कर्मचारियों की मजबूरी को समझें और सहयोग करें। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष उनके हक और सम्मान के लिए है, जिसे अब और टाला नहीं जा सकता। यदि इस दौरान किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में कोई जनहानि होती है तो इसकी जिम्मेदारी सरकार और संबंधित प्रबंधन की होगी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *