उत्तराखंड:- उत्तराखंड सरकार ने अवैध खनन पर लगाए जाने वाले जुर्माने की राशि को घटा दिया है। प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। फैसले के पीछे सरकार का तर्क है कि अवैध खनन पर पांच गुना जुर्माना आसानी से अदा नहीं हो रहा था और ऐसे प्रकरण न्यायालय में जाकर लंबे खिंच रहे थे। कैबिनेट ने मैदानी जिलों में नदी तल के खनन पट्टों के आवेदन व नवीनीकरण शुल्क एक लाख से रुपये बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया है।
नए संशोधन से जहां खनन कारोबारियों को राहत दी गई है वहीं सरकार को खनन से होने वाली आय में बढ़ोतरी की उम्मीद है।बैठक में उत्तराखंड उपखनिज (परिहार) नियमावली 2023 में संशोधनों को मंजूरी दी गई। महानिदेशक खनन डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने मीडिया को इन संशोधनों की जानकारी दी। पांडेय के मुताबिक, खनन पट्टों की जांच, आकलन व सीमांकन करने के लिए अभी एसडीएम की अध्यक्षता में गठित समिति के जिम्मे है, लेकिन अब एसडीएम की गैरहाजिरी में तहसीलदार या उपतहसीलदार को भी ये अधिकार होगा। इसके लिए उन्हें खनन निदेशालय से एक सप्ताह का प्रशिक्षण लेना होगा।
ये प्रमुख संशोधन भी हुए
1. खनन पट्टे की अवधि बढ़ाईः पांच साल की अवधि के लिए खनन पट्टे देने का प्रावधान है। नए संशोधन के मुताबिक, पांच हेक्टेयर के पट्टे के लिए पांच साल और पांच हेक्टेयर से अधिक के पट्टों के लिए 10 वर्ष तय की गई है।
2. पट्टों के ट्रांसफर पर लगेगी फीसः अब खनन पट्टों को ट्रांसफर करने पर सरकार शुल्क वसूलेगी। पांच हेक्टेयर के पट्टे पर दो लाख रुपये और पांच हेक्टेयर से अधिक के पट्टे पर पांच लाख रुपये शुल्क लगेगा। फर्म के किसी सदस्य को बदलने पर भी दो लाख रुपये शुल्क लगेगा।
3.अब डीजी देंगे आशय पत्रः अभी तक खनन पट्टों के आशय पत्र शासन स्तर से आवंटित होते थे। लेकिन अब यह अधिकार महानिदेशक खनन को दे दिया गया है।
4. अनुमति के बाद से मानी जाएगी पट्टे की अवधिः अभी तक पट्टे की अवधि आशय पत्र जारी होने की तिथि से लागू हो जाती थी। लेकिन अलग-अलग अनुमति मिलने में देरी से पट्टाधारक को खनन के लिए कम से समय मिलता था। अब अनुमति मिलने के बाद ही पट्टे की अवधि शुरू होगी।
5. अवैध खनन का जुर्माना कम कियाः अभी तक अवैध खनन करने वालों से पांच गुना जुर्माना वसूलने का प्रावधान है। लेकिन अब इसे घटाकर दो गुना कर दिया गया है। दूसरी बार पकड़े जाने पर यह तीन गुना होगा और इसके बाद यह तीन गुना ही रहेगा।
6. अपील व पुनर्निरीक्षण शुल्क अब 20 लाखः अपील व पुनर्निरीक्षण शुल्क को पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है।
7. ई निविदा के 15 दिन में जमा करनी होगी 25 प्रतिशत रायल्टीः खनन पट्टे की सबसे ऊंची बोली लगाने वाले निविदादाता को 15 दिन में कुल रायल्टी की 25 प्रतिशत धनराशि 15 दिन के भीतर जमा करानी होगी। यदि ऐसा करने में वह नाकाम रहा तो दूसरी सबसे अधिक बोलीदाता को उसी निविदा दर पर पट्टा मिलेगा। यदि वह भी तय अवधि में रायल्टी का भुगतान नहीं करता है तो तीसरी सबसे अधिक बोली लगाने वाले को यह अवसर मिलेगा। यदि वह भी शर्त पूरी नहीं कर पाता है तो ऐसी स्थिति में निविदा रद्द कर नए सिरे से ई निविदा बुलाई जाएगी, जिसमें सबसे अधिक बोली लगाने वाले(एच-1) को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा और उसकी जमानत राशि भी जब्त कर ली जाएगी।