राजधानी की हवा में सुधार आने के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने तत्काल प्रभाव से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) 3 व चार की पाबंदियां हटा दी हैं। ऐसे में निर्माण व विध्वंस कार्य दोबारा से शुरू हो जाएंगे। इसके अलावा भारी वाहनों व ट्रकों को राजधानी में प्रवेश मिलेगा। सीएक्यूएम की उप समिति ने यह निर्णय बृहस्पतिवार शाम को बैठक में लिया। सीएक्यूएम के मुताबिक, डीजल वाले चारपहिया वाहनों व उद्योगों पर भी पाबंदी हट गई है। बड़े वेल्डिंग और गैस कटिंग के काम हो सकेंगे। इसी तरह सीमेंट, प्लास्टर और अन्य कोटिंग का काम हो सकेगा।
कार्रवाई वाली इकाइयां बंद रहेंगी
निर्माण व विध्वंस परियोजना स्थल और औद्योगिक इकाइयां जिन्हें विभिन्न वैधानिक दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के कारण विशेष रूप से बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं, वे किसी भी परिस्थिति में आयोग से बिना अनुमति के संचालन शुरू नहीं कर सकेंगे। सीएक्यूएम की उप-समिति वायु गुणवत्ता पर कड़ी नजर रखेगी। वहीं, पूर्वानुमान के आधार पर आगे उचित निर्णय के लिए समय-समय पर स्थिति की समीक्षा करेगी।
ग्रेप-1 (एक्यूआई 201-300)
पहले चरण में 500 वर्गमीटर के बराबर या उससे अधिक के भूखंड आकार वाले निजी निर्माण व विध्वंस परियोजनाओं के काम पर रोक रहती है। यहां उन कार्यों पर रोक रहती है, जो धूल शमन उपायों की दूरस्थ निगरानी के लिए राज्य सरकार के पोर्टल पर पंजीकृत नहीं हैं। थर्मल पावर प्लांटों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के साथ-साथ होटल, रेस्तरां और खुले भोजनालयों में तंदूर में कोयले के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध है।
ग्रेप-2 (एक्यूआई 301-400)
ड्यूल फ्यूल या सर्टिफाइड एजेंसी से रेट्रोफिटिंग करवाने वाले 62 से 800 किलोवॉट तक के जनरेटरों पर रोक नहीं रहेगी। अब तक यह छूट 125 से 800 किलोवॉट के जनरेटरों के लिए थी यानी नियमों का पालन करने वाले अधिक जेनरेटर इस बार चल सकेंगे। 19 से 62 किलोवॉट की क्षमता वाले ड्यूल फ्यूल के डीजल सेट पर रोक नहीं रहेगी। इस रेंज के जो जनरेटर डुअल फ्यूल पर नहीं होंगे और पीएनजी इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं होगा, वहां पर इमरजेंसी सर्विसेज के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। पहले इस रेंज के सभी जनरेटरों को आपातकालीन सेवाओं के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था।